*फाग का रंग : बारह दोहे*
फाग का रंग : बारह दोहे
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1
फागुन का चढ़ने लगा, बूढ़ों पर यों रंग
काले सबके दिख रहे, बाल डाइ के संग
2
बैंकों से सब को मिला, चुटकी-भरा गुलाल
मोटे-मोटे ले गए, लूट रंग के थाल
3
धड़कन दिल की तेज ज्यों, रंगों की बौछार
कोतवाल-मन ने कहा, फागुन जिम्मेदार
4
गाओ फागुन आ गया, लेकर रंग-गुलाल
रंग-बिरंगे लग रहे, बुढ़ियों तक के गाल
5
आया अब की जब बजट, निर्धन हुआ निहाल
खड़ा इलेक्शन द्वार पर, दिख बेटा खुशहाल
6
बनता है सीमेंट से, बस निर्जीव मकान
भरो फाग के रंग से, फूॅंको उसमें जान
7
फागुन की है पूर्णिमा, मस्ती का है ढंग
पिचकारी के संग में, चला फाग का रंग
8
महंगाई की पड़ रही, सब पर ऐसी मार
ऊपर से तो रंग है, भीतर जल-भंडार
9
कर्जे में सब जी रहे, कर्जा अपरंपार
कर्जे की पिचकारियॉं, कर्जे की रसधार
10
फोटो खिंचने के समय,धक्का-मुक्की सीख
चाहे जैसे जिस तरह, फोटो में तू दीख
11
योगी जी के हाथ में, पिचकारी की धार
उद्योगों का लग रहा, सतरंगी भंडार
12
लाल चौक कश्मीर में, भारत-ध्वज अभियान
राहुल जी फहरा रहे, मोदी जी की शान
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451