फागुन
”
जागे कृष्ण कन्हाई
गोपियों की टोली आई
खेलें सब जन होली अब झूम के
गुल रंग उडायें
गायें मस्त हवायें
धानी वसन में धरा नाचे घूम के
खेलें सब जन होली अब झूम के
जागे कृष्ण कन्हाई
गोपियों की टोली आई
खेलें सब जन होली अब झूम के
रंग आसमाँ में जागे
. दिशा बाँधे प्रेम धागे
भौंरे नाचें कली कुसुम को चूम के
खेलें सब जन होली अब झूम के
जागे कृष्ण कन्हाई
गोपियों की टोली आई
खेलें सब जन होली अब झूम के
तितलियाँ भंग घोलें
मन मयूरा सा डोले
गीत कोयलिया गाये झूम झूम के
खेलें होली सब जन अब झूम के
जागे कृष्ण कन्हाई
गोपियों की टोली आई
खेलें सब जन होली अब झूम के
पीली सरसों है फू ली
आम्र मंजरि.ाँ झूलीं
लगे हुए हैं जी मेले यहाँ धूम के
खेलें सब जन होली अब झूम के
जागे कृष्ण कन्हाई
गोपियों की टोली आई
खेलें सब जन होली अब झूम के
अपर्णा थपलियाल”रानू