फाउंटेन पेन( बाल कविता )
फाउंटेन पेन( बाल कविता )
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बचपन समझो गड़बड़झाला
फाउंटेन – पेन युग वाला
स्याही की दवात थी आती
भरी पेन में फिर थी जाती
नीले हाथ सभी के होते
स्याही देख – देखकर रोते
रोज सुबह स्याही थे भरते
सारा दिन बेफिक्री करते
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451