‘फांसी’ नाजायज रिश्ते का अंत
19 वर्षीय दिशा कड़कड़ाती धूप में कन्या उच्च विद्यालय बोकारो से घर की ओर जा रही थी उसके साथ उसकी सहेली नीलू भी थी। दिशा और नीलू बचपन से एक ही स्कूल में पढ़ती थी। लेकिन दिशा का मन पढ़ाई में नहीं लगता था वौ हमेशा प्यार मोहब्बत की बातें करती थी ।स्कूल के टिफिन में वो टिफिन करने से ज्यादा लड़कों को निहारती थी। और अपनी सहेली नीलू से कहती थी देखो वो लड़का कितना स्मार्ट दिख रहा है इसी तरह बहुत प्रकार की टिप्पणियां वो करती थी लेकिन नीलू उसकी बातों में बिल्कुल ध्यान नहीं देती थी और सिर्फ वो पढ़ाई के विषय में सोचती थी।
यही कारण था कि परीक्षा में हर वर्ष नीलू प्रथम स्थान प्राप्त करती थी और दिशा किसी तरह उत्तीर्ण हो जाती थी। दिन बीतते गए और उन दोनों का 12वीं का परीक्षा हो गई जिसमें नीलू ने फिर से विद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया और दिशा किसी तरह उत्तीर्ण हो पाई।
नीलू का परिवार मध्यमवर्गीय था उसके पिताजी का एक मोटर गाड़ी ठीक करने का दुकान था । आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण नीलू के पिताजी ने किसी तरह से कर्ज़ लेकर उसकी शादी गणेश नामक युवक से करा दिया जो एक बैंक प्रबंधक था। नीलू अपना शादीशुदा जीवन में खुशी थी।
वहीं दिशा की शादी का बात चल रहा था उसके पिताजी उसके लिए अच्छे-अच्छे लड़के तलाश कर रहे थे लेकिन दिशा को अपने प्रेमी जय से शादी करनी थी। दिशा ने जय के बारे में अपने पिताजी को बताया और उसके पिताजी जय के साथ शादी कराने के लिए तैयार हो गया। लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी की हम पहले जय को देखेंगे अगर वो पसंद हो गया तब हम तुम्हारी शादी जय से करवा देंगे। कुछ दिन बाद दिशा के पिताजी अपने कुछ दोस्तों के साथ जय को देखने उसके घर चले गए वहां जाकर उन्होंने जय को देखा वो देखने में तो अच्छा था लेकिन वह बहुत काला था इसीलिए उसके पिताजी ने जय से उसकी शादी कराने से मना कर दिया और दिशा भी मान गई। फिर उसके पिताजी ने 3 लाख रुपए तिलक देकर उसकी शादी एक चुन्नू नामक युवक से करवा दिया जो कि एक मॉल का मालिक था।
दिशा की शादी के 3 महीने होने लगे लेकिन दिशा चुन्नू के साथ खुश नहीं थी। क्योंकि उसका नाजायज रिश्ता अपने पुराने आशिक अंग्रेजी विषय के शिक्षक विशाल के साथ था। शादी के बाद भी दिशा छुप-छुपकर विशाल के साथ बातें करती थी और साथ जीने मरने का कसमें खाया करती थी।
एक दिन दिशा अपनी सासू मां से कहती है की मुझे कहीं बाहर घूमने जाना है तब उसकी सासु मां ने उससे पूछा क्या तुमने बाजार जाने का रास्ता देखा है तो दिशा ने कहा नहीं तो उसकी सासु मां ने कहा कि तुम चिंकी को अपने साथ ले जा चिंकी उसकी पड़ोस की लड़की थी जिसका उम्र 12 वर्ष था।
दिशा और चिंकी बाजार गए बाजार में दिशा ने चिंकी से कहा की जाओ तुम हिम क्रीम लेकर आओ मैं यही रहती हूं । तब चिंकी ने कहा नहीं आप जाइए मैं यही आपका इंतजार करता हूं और दिशा हिम क्रीम लेने चली गई।
कई घंटे बीत गए चिंकी वहीं पर खड़ी थी लेकिन दिशा वापस नहीं आ रही थी चिंकी को इंतजार करते-करते रात हो गई लेकिन दिशा वापस नहीं आई। उधर दिशा की पति और सासू मां दोनों परेशान थे कि अभी तक दिशा घर नहीं आई कहां चली गई। फिर वो लोग भी दिशा की तलाश में बाजार गए वहां जाकर देखा की चिंकी एक जगह खड़ी होकर रो रही है। फिर उन लोगों ने चिंकी से पूछा की दिशा कहां है फिर चिंकी ने सारी बात बताई और वे लोग दिशा को खोजने निकल गए बहुत खोजने के बाद भी दिशा कहीं नहीं मिली वे लोग थक हार कर अपने घर आ गए।
किसी तरह रात बीत गया सुबह उठते ही चुन्नू सबसे पहले थाने गया और थानेदार को सारी बात बताई फिर थानेदार ने कार्यवाही शुरू कर दिया और दिशा की तलाश करने लगे। तलाश करते-करते कई दिन बीत गए लेकिन दिशा का कोई पता नहीं चला।
करीब-करीब 8 दिन बीतने के बाद दिशा ने अपने पिताजी को फोन किया और कहा की पापा मैंने विशाल से शादी कर लिया है और मैं यहां बहुत खुश हूं तब उन्होंने अपने दामाद चुन्नी को यह सारी बातें बता दी । फिर चुन्नू ने कहा की यदि दिशा विशाल के साथ खुश है तो मुझे कोई एतराज नहीं उसे वही रहने दीजिए फिर चुन्नू ने दहेज के रकम 3 लाख रुपए दिशा के पिताजी को लौटा दिया।
दिन बीतते गए और दिशा की पिताजी ने अपने नए दामाद विशाल को स्वीकार कर लिया फिर उन लोगों का आना जाना लगा रहा। विशाल जो कि एक शिक्षक था उसकी तनख्वाह भी उतना नहीं था की वो अपना घर चला सके। फिर एक दिन विशाल ने दिशा से कहा कि कुछ पैसे तुम अपने पिताजी से मांग लो वरना हमारा घर कैसे चलेगा।
इसी तरह हर महीने दिशा अपने पिताजी से पैसे मांगने लगी कई महीने बीत गए तब दिशा को एक लड़की पैदा हुई और लड़की को देख कर विशाल कहने लगा इतने पैसे कहां से लाऊंगी की इसकी शादी करा सकूं। इसी तरह विशाल हर रोज दिशा को ताना मारने लगा। बहुत दिनों तक दिशा विशाल के ताने सुनती गई और दिशा को जब सहन नहीं हुआ। तब दिशा ने खुदकुशी करने की ठानी और पंखे में फांसी लगा लिया।
दिशा के मरने के बाद विशाल ने अपनी बेटी को उसके ननिहाल में दे दिया और उसने दूसरी शादी कर लिया।
इसी तरह एक नाजायज रिश्ते का अंत फांसी से हुआ।
इस कहानी से सीख- खुशी या दुखी रहना जीवन का एक
पहलू है चाहे कुछ भी हो जाए कैसी
भी परिस्थिति हो हमें कभी नाजायज
काम नहीं करना चाहिए और न कभी
नाजायज रिश्ते बनाना चाहिए।
क्योंकि नाजायज चीजों का अंत
हमेशा दुखदायक ही होता है।
✍️लेखक-आनंद कुमार ‘मनीष’