फ़िर होता गया
फ़िर होता गया
कुछ ऐसा
सब्र की उंगलियों को
थाम लिया हमने
जिन्दगी भी हैरत में
आ गई है ये दौर देख कर
हिमांशु Kulshrestha
फ़िर होता गया
कुछ ऐसा
सब्र की उंगलियों को
थाम लिया हमने
जिन्दगी भी हैरत में
आ गई है ये दौर देख कर
हिमांशु Kulshrestha