Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Sep 2024 · 1 min read

फ़ासला बे’सबब नहीं आया ,

फ़ासला बे’सबब नहीं आया ,
दूर तुम भी तो हो गये हमसे।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद

1 Like · 38 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all
You may also like:
The Kiss 👄
The Kiss 👄
Otteri Selvakumar
तुमको सोचकर जवाब दूंगा
तुमको सोचकर जवाब दूंगा
gurudeenverma198
कोई जब पथ भूल जाएं
कोई जब पथ भूल जाएं
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
वक़्त  बहुत  कम  है.....
वक़्त बहुत कम है.....
shabina. Naaz
बयार
बयार
Sanjay ' शून्य'
हमारा हाल अब उस तौलिए की तरह है बिल्कुल
हमारा हाल अब उस तौलिए की तरह है बिल्कुल
Johnny Ahmed 'क़ैस'
मीना
मीना
Shweta Soni
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय*
गिलहरी
गिलहरी
Kanchan Khanna
मन मयूर
मन मयूर
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
शब्द भावों को सहेजें शारदे माँ ज्ञान दो।
शब्द भावों को सहेजें शारदे माँ ज्ञान दो।
Neelam Sharma
दिल अब
दिल अब
Dr fauzia Naseem shad
23/112.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/112.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*
*"माँ कात्यायनी'*
Shashi kala vyas
*परसों बचपन कल यौवन था, आज बुढ़ापा छाया (हिंदी गजल)*
*परसों बचपन कल यौवन था, आज बुढ़ापा छाया (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
पितृ तर्पण
पितृ तर्पण
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
चलो एक बार फिर से ख़ुशी के गीत गायें
चलो एक बार फिर से ख़ुशी के गीत गायें
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शराब नहीं पिया मैंने कभी, ना शराबी मुझे समझना यारों ।
शराब नहीं पिया मैंने कभी, ना शराबी मुझे समझना यारों ।
Dr. Man Mohan Krishna
सुरभित - मुखरित पर्यावरण
सुरभित - मुखरित पर्यावरण
संजय कुमार संजू
बढ़ता कदम बढ़ाता भारत
बढ़ता कदम बढ़ाता भारत
AMRESH KUMAR VERMA
वसंत - फाग का राग है
वसंत - फाग का राग है
Atul "Krishn"
शिक्षित लोग
शिक्षित लोग
Raju Gajbhiye
दीपावली
दीपावली
Deepali Kalra
तेरी जुल्फों के साये में भी अब राहत नहीं मिलती।
तेरी जुल्फों के साये में भी अब राहत नहीं मिलती।
Phool gufran
आप विषय पर खूब मंथन करें...
आप विषय पर खूब मंथन करें...
Ajit Kumar "Karn"
वृक्षारोपण कीजिए
वृक्षारोपण कीजिए
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
ग़ज़ल- तू फितरत ए शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है- डॉ तबस्सुम जहां
ग़ज़ल- तू फितरत ए शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है- डॉ तबस्सुम जहां
Dr Tabassum Jahan
ग़ज़ल _ इस जहां में आप जैसा ।
ग़ज़ल _ इस जहां में आप जैसा ।
Neelofar Khan
जुदाई - चंद अशआर
जुदाई - चंद अशआर
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
दोहा छंद विधान
दोहा छंद विधान
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Loading...