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29 May 2024 · 1 min read

फ़ानी है दौलतों की असलियत

ख़ुमारी अगर सहर तक न रहे,
शराब में शब जाया क्या करना।
☘️☘️
गर वो ही न पढ़ें, नज़्म हमारी,
अख़बार में साया क्या करना।
☘️☘️
उनसे मिलना कभी होगा नहीं,
तो लम्स का वादा क्या करना।
☘️☘️
फ़ानी है दौलतों की असलियत,
ज़माने से तक़ाज़ा क्या करना।
☘️☘️
परवाज़ भरो तो आसमां तक हो,
बादलों तक इरादा क्या करना।
☘️☘️
कहो तो सही, जुस्तुजू किसकी है,
दरम्याने-रिश्ता इशारा क्या करना।

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