*रामपुर में जैन-इतिहास के शोधकर्ता श्री भारत भूषण जैन*
सबके दिल में छाजाओगी तुम
Aasukavi-K.P.S. Chouhan"guru"Aarju"Sabras Kavi
“हम अब मूंक और बधिर बनते जा रहे हैं”
"सब कुछ तो भाग्य विधाता है"
लोग कब पत्थर बन गए, पता नहीं चला,
रक्त के परिसंचरण में ॐ ॐ ओंकार होना चाहिए।
चिन्ता करू या चिन्तन क्योंकि
उम्र के उस पड़ाव पर पहुंचे जब किसी के साथ की बेहद जरूरत होती
सुख और दुःख को अपने भीतर हावी होने न दें
किण गुनाह रै कारणै, पल-पल पारख लेय।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
विचारों की सुन्दरतम् प्रस्तुति का नाम कविता