Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jul 2020 · 1 min read

“फर्ज”

हार गया कोई,कोई अभी भी लड़ रहा है।
ये संघर्ष की दीवार हर कोई चढ़ रहा है।
ना गम की तोल,ना खुशी की नाप है।
हर इंसान अपने फ़र्ज़ में, आगे बढ़ रहा है।

Language: Hindi
Tag: शेर
8 Likes · 2 Comments · 263 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"मायने"
Dr. Kishan tandon kranti
युवा शक्ति
युवा शक्ति
संजय कुमार संजू
स्वार्थी मनुष्य (लंबी कविता)
स्वार्थी मनुष्य (लंबी कविता)
SURYA PRAKASH SHARMA
हम ख़्वाब की तरह
हम ख़्वाब की तरह
Dr fauzia Naseem shad
खुद को संवार लूँ.... के खुद को अच्छा लगूँ
खुद को संवार लूँ.... के खुद को अच्छा लगूँ
सिद्धार्थ गोरखपुरी
किसी सिरहाने में सिमट जाएगी यादें तेरी,
किसी सिरहाने में सिमट जाएगी यादें तेरी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दुश्मन
दुश्मन
Dr.Pratibha Prakash
पुरुष को एक ऐसी प्रेमिका की चाह होती है!
पुरुष को एक ऐसी प्रेमिका की चाह होती है!
पूर्वार्थ
सारे नेता कर रहे, आपस में हैं जंग
सारे नेता कर रहे, आपस में हैं जंग
Dr Archana Gupta
4119.💐 *पूर्णिका* 💐
4119.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
रहे_ ना _रहे _हम सलामत रहे वो,
रहे_ ना _रहे _हम सलामत रहे वो,
कृष्णकांत गुर्जर
जीवन में ऐश्वर्य के,
जीवन में ऐश्वर्य के,
sushil sarna
अब तुझे रोने न दूँगा।
अब तुझे रोने न दूँगा।
Anil Mishra Prahari
* शुभ परिवर्तन *
* शुभ परिवर्तन *
surenderpal vaidya
हम सुख़न गाते रहेंगे...
हम सुख़न गाते रहेंगे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
"सुनो एक सैर पर चलते है"
Lohit Tamta
नदी की मुस्कान
नदी की मुस्कान
Satish Srijan
सच तो रंग होते हैं।
सच तो रंग होते हैं।
Neeraj Agarwal
गुमाँ हैं हमको हम बंदर से इंसाँ बन चुके हैं पर
गुमाँ हैं हमको हम बंदर से इंसाँ बन चुके हैं पर
Johnny Ahmed 'क़ैस'
सभी सिखला रहे थे जो सदा सद्धर्म नैतिकता।
सभी सिखला रहे थे जो सदा सद्धर्म नैतिकता।
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
ओलम्पिक खेल का उद्देश्य
ओलम्पिक खेल का उद्देश्य
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
मैने वक्त को कहा
मैने वक्त को कहा
हिमांशु Kulshrestha
#लंबी_कविता (तवील नज़्म)-
#लंबी_कविता (तवील नज़्म)-
*प्रणय प्रभात*
नंगा चालीसा [ रमेशराज ]
नंगा चालीसा [ रमेशराज ]
कवि रमेशराज
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
हिंदी साहित्य की नई : सजल
हिंदी साहित्य की नई : सजल
Sushila joshi
धर्म और सिध्दांत
धर्म और सिध्दांत
Santosh Shrivastava
प्रिंट मीडिया का आभार
प्रिंट मीडिया का आभार
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
राजनीति
राजनीति
Bodhisatva kastooriya
कहा किसी ने
कहा किसी ने
Surinder blackpen
Loading...