फ़र्क बस इतना है…..
पहले वो सब समझ जाते थे,
फिर भी हम अपनी हर बात उसको बताते,
अब वो समझना नहीं चाहते,
जुबान हमारी अब बोल नही पाती।
पहले हर बार वो साथ देते थे,
अब जैसे जंग बस मेरी है ये महसूस होता,
अकेले लड़ते लड़ते में बस थक जाती,
और हर बार उनको मेरी गलती नजर आती।
पहले मेरी हर बात में साथ होता था,
साथ तो आजभी है,
पर फ़र्क बस इतना है।
अब उसने बताना बंद किया और मैंने जताना छोड़ दिया।
बात ये नही है की मेरी हालत बताना नही चाहती,
बात तो ये है, की उनको अब मेरी कोई भी बात नही भाती,
प्यार तो तब भी था,आज भी है
फर्क बस इतना है,
अब मै किसीसे कोई उम्मीद ही नहीं रखना चाहती ।🥹