फ़रिश्ता
बादलों पे लिखा तेरा नाम
अक्सर चलते चलते
बादलों पे लिखे मेरे नाम में
घुल जाता है…
बरसता है ज़मी पर,
एक रिश्ता बनकर..
जिसका कोई नाम नही..
बिखर जाता है खुशबू की तरह..
क़ायनात के क़तरे क़तरे मे..
नज़र आता है जो अक़्स
वो कोई रिश्ता नही..
फ़रिश्ता सा लगता है…….
@नम्रता सरन “सोना”