Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 May 2024 · 1 min read

,✍️फरेब:आस्तीन के सांप बन गए हो तुम…

आस्तीन के सांप बन गए हो तुम…
#देती होंगी मुर्गियां बांग शहर तुम्हारे … ज़मीर ना जगे तो जिंदा लाश हो तुम…

#लेती होंगी खुशीयां बालाएं तुम्हारे …किसी की हर दुःख वजह हो तुम…
#मिलती रहेंगी कई सखीयां तुम्हे …किसी की हमदर्द ना बन सको “जाया”…. हो तुम…
#होगी कई खूबियां तुम.में . …. पर .. फरेबी.. में लाजवाब हो तुम…✍️
# उठती रही कई उंगलीयां ..
किसी “मासूम” किरदार पे…… शामिल हो उनमें …..आस्तीन के सांप बन गए हो तुम…
पं अंजू पांडेय “अश्रु”✍️

1 Like · 32 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
शरद पूर्णिमा का चांद
शरद पूर्णिमा का चांद
Mukesh Kumar Sonkar
शादी
शादी
Adha Deshwal
कितना
कितना
Santosh Shrivastava
*छिपी रहती सरल चेहरों के, पीछे होशियारी है (हिंदी गजल)*
*छिपी रहती सरल चेहरों के, पीछे होशियारी है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
"सुनो तो"
Dr. Kishan tandon kranti
अपने  में वो मस्त हैं ,दूसरों की परवाह नहीं ,मित्रता में रहक
अपने में वो मस्त हैं ,दूसरों की परवाह नहीं ,मित्रता में रहक
DrLakshman Jha Parimal
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*प्रणय प्रभात*
माँ लक्ष्मी
माँ लक्ष्मी
Bodhisatva kastooriya
पाँव थक जाएं, हौसलों को न थकने देना
पाँव थक जाएं, हौसलों को न थकने देना
Shweta Soni
गौ माता...!!
गौ माता...!!
Ravi Betulwala
करुंगा अब मैं वही, मुझको पसंद जो होगा
करुंगा अब मैं वही, मुझको पसंद जो होगा
gurudeenverma198
रंग जीवन के
रंग जीवन के
kumar Deepak "Mani"
*प्रेम भेजा  फ्राई है*
*प्रेम भेजा फ्राई है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
नव-निवेदन
नव-निवेदन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
मैं  गुल  बना  गुलशन  बना  गुलफाम   बना
मैं गुल बना गुलशन बना गुलफाम बना
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
1...
1...
Kumud Srivastava
वैनिटी बैग
वैनिटी बैग
Awadhesh Singh
ଆପଣ କିଏ??
ଆପଣ କିଏ??
Otteri Selvakumar
क्या कहती है तस्वीर
क्या कहती है तस्वीर
Surinder blackpen
आजकल कल मेरा दिल मेरे बस में नही
आजकल कल मेरा दिल मेरे बस में नही
कृष्णकांत गुर्जर
हमारा देश
हमारा देश
Neeraj Agarwal
*हम विफल लोग है*
*हम विफल लोग है*
पूर्वार्थ
जब हम सोचते हैं कि हमने कुछ सार्थक किया है तो हमें खुद पर गर
जब हम सोचते हैं कि हमने कुछ सार्थक किया है तो हमें खुद पर गर
ललकार भारद्वाज
दो ही हमसफर मिले जिन्दगी में..
दो ही हमसफर मिले जिन्दगी में..
Vishal babu (vishu)
2692.*पूर्णिका*
2692.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गाँव पर ग़ज़ल
गाँव पर ग़ज़ल
नाथ सोनांचली
ना तुमसे बिछड़ने का गम है......
ना तुमसे बिछड़ने का गम है......
Ashish shukla
निर्मल भक्ति
निर्मल भक्ति
Dr. Upasana Pandey
कभी लगे के काबिल हुँ मैं किसी मुकाम के लिये
कभी लगे के काबिल हुँ मैं किसी मुकाम के लिये
Sonu sugandh
जेठ कि भरी दोपहरी
जेठ कि भरी दोपहरी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...