फनकार
इस दिल में दिल का राज छुपा , किरदार बहकने लगते हैं।
सब दिल वालों को आपस में , ये भार समझने लगते हैं।
ये इश्क मोहब्बत क्या जानें, अंजाम हकीकत क्या जानें ।
ये विरह वेदना क्या जानें, फनकार समझने लगते हैं।
डॉ. प्रवीण कुमार श्रीवास्तव ‘प्रेम’