फतवा या दस्तूर ?
चले चलो कि दिल्ली दूर नहीं
बढ़े चलो कि दिल्ली दूर नहीं…
(१)
जो हार मानकर बैठ जाए
वह किसान या मजदूर नहीं…
(२)
अपनी गैरत का सौदा करें
हम इतने हुए मजबूर नहीं…
(३)
चाहे अपने करें या बेगाने
हमें कोई ज़ुल्म मंज़ूर नहीं…
(४)
जो थोपा जाए जबरदस्ती
वह फतवा है, दस्तूर नहीं…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
#FarmersProtest
#RomanticRebel