फटा-फट सभी
मुक्तक
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फटा-फट सभी कार्य होते रहे हैं।
नहीं लोग जो व्यर्थ सोते रहे हैं।
स्वयं ही सभी कुछ समय पर निपटता।
कहीं कुछ नहीं व्यर्थ खोते रहे हैं।
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मुहब्बत अगर है बता दीजिए अब।
बहुत फासले हैं मिटा दीजिए अब।
फटा-फट हमें आज उस पार जाना।
किया वायदा भी निभा दीजिए अब।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य