पढ़िए ! पुस्तक : कब तक मारे जाओगे पर चर्चित साहित्यकार श्री सूरजपाल चौहान जी के विचार।
युवा दलित कवि नरेन्द्र वाल्मीकि द्वारा संपादित कविता संग्रह ‘कब तक मारे जाओगे’ 28/07/2020 को प्राप्त हुआ है। पुस्तक की साज-सज्जा आकर्षित करती हैं। इसके लिए प्रकाशक सिद्धार्थ बुक्स, दिल्ली बधाई के पात्र हैं। यह कविता-संग्रह ‘कब तक मारे जाओगे’ जाति व्यवस्था के घिनौने रूप को ढोने वाले समुदाय पर केन्द्रित हैं। इस पुस्तक को देखकर या पढ़कर कुछ मानसिक रोगी लोगों के मरोड़ के साथ पेट में दर्द उठ सकता है। उनकी पेट में दर्द उठना जरूरी भी है। ये मानसिक रोगी दलित समाज में जातिवाद फैलाने का आरोप नरेंद्र वाल्मीकि पर भी लगा सकते हैं। ऐसा ही आरोप मेरे द्वारा संपादित ‘वाल्मीकि एवं अंबेडकरवादी’ कविता एवं कहानी संग्रहो के प्रकाशन के बाद लगाया है। कितनी हैरानी की बात है कि वाल्मीकि समाज में बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार को लेकर कुछ बहुत ही ज्ञानी लोगों को कुछ बात हजम नहीं होती, उन्हें अपना हाजमा दुरुस्त करना होगा। अरे भाई, इस दलितों में दलित कहीं जाने वाली जाति के लोग इस समाज में अपने लेखन से बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार करने में लगे हैं तो यह बेचैनी क्यों ?
इस कविता संग्रह ‘कब तक मारे जाओगे’ में छोटे-बड़े नामों के साथ 62 कवियों की रचनाओं को सम्मिलित किया गया है। ऐसा भी नहीं है कि इस संग्रह के सभी कवि जाति व्यवस्था के घिनौने रूप को ढोने वाले ही कवि हो। इसमें दलित समाज के कई दूसरे कवि भी हैं। जैसे- अरविंद भारती, आर.डी. आनंद, देवचन्द्र भारती ‘प्रखर’, रजनी तिलक, डी.के.भास्कर आदि। इन सभी की कविताएं भी इसी नरक ढोती कौम पर ही केंद्रित है।
एक ही सीटिंग में पूरा संग्रह पढ़ गया हूं। सभी कविताएं आंखों में आंखें डालकर बात करती नजर आती है। इस कविता संग्रह को देखकर या पढ़कर कहा जा सकता है कि अब दलित साहित्य का दरिया बहने से कोई नहीं रोक सकता। दलित युवा रचनाकारों की युवा टीम अब पूरी तैयारी के साथ साहित्यिक मैदान में आ चुकी है। इस संग्रह के प्रकाशन पर सभी रचनाकारों के साथ-साथ युवा कवि नरेंद्र वाल्मीकि को ढेरों बधाईयांं। प्रमुख दलित चिंतक व साहित्यकार आदरणीय डॉ. धर्मवीर जी कहा करते थे कि दलित समाज में किसी पुस्तक का प्रकाशित होकर आना ही हमारे लिए उत्सव के ही समान है।
सूरजपाल चौहान
30/07/2020
पुस्तक : कब तक मारे जाओगे (जाति व्यवस्था के घिनौने
रूप को ढोने वाले समुदाय पर केंद्रित काव्य संकलन)
प्रकाशक : सिद्धार्थ बुक्स, दिल्ली
मूल्य : ₹120
प्रकाशन वर्ष : 2020
मो. 9720866612