पढ़वा लो या लिखवा लो (शिक्षक की पीड़ा का गीत)
जो तुम चाहो, करवा लो ।
पढ़वा लो या लिखवा लो ।
मेहनत का पैसा मिलता है,
मेहनत तो करनी ही होगी ।
जो इच्छा हो राजकाज की,
इच्छा वो भरनी ही होगी ।
उल्टा-सीधा,आड़ा-तिरछा,
जोड़ जो चाहो,लगवा लो ।
अँगुलियाँ टिक – टिक
कर देंगे कम्प्यूटर पर ।
डाक बनाकर भिजवा
देंगे आला – दफ़्तर ।
निर्वाचन हो या हो सर्वे,
कमर हमारी कसवा लो ।
खाते खुलवा,बना आई-
डी लिंक कराएँगे आधार ।
जो भी आदेश आपका,
सर – मत्थे होगा साभार ।
झोला छाप डॉक्टर जैसा,
गली-गली में फिरवा लो ।
बच्चे पढ़ते राम – भरोसे,
इसकी फिक्र कौन करता ?
बच्चे बढ़ते राम – भरोसे,
इसका ज़िक्र कौन करता ?
बिन केवट की टूटी नैया,
डुबवा दो या तरवा लो ।
निपुण बनाएँगे भारत को,
प्रतिबद्धित हैं,संकल्पित हैं ।
जो हो,जब हो,जैसा भी हो,
हर प्रयोग से संयोजित हैं ।
रीती गागर जिज्ञासा की,
भरवा लो या फुड़वा लो ।
इतना बड़ा विश्वसागर है,
हम लघु – टीचर – मीचर ।
साफ करेंगे तट-घाटों को,
छुटा काई औ’ कीचर ।
बँधे हुए कोल्हू से नाटे,
जितना चाहे जुतवा लो ।
जो तुम चाहो , करवा लो ।
पढ़वा लो या लिखवा लो ।
००००
— ईश्वर दयाल गोस्वामी ।