प्रेस व मीडिया
प्रेस व मीडिया
प्रेस किसी भी समाज का आइना होता है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में प्रेस की स्वतंत्रता बुनियादी जरूरत है। प्रेस के माध्यम से हम देश दुनिया में घटित होने वाली गतिविधियों से अवगत होकर अपना ज्ञान बढ़ाते हैं। मीडिया की आजादी का मतलब है कि किसी भी व्यक्ति को अपनी राय कायम करने और सार्वजनिक तौर पर इसे जाहिर करने का अधिकार है। भारत में प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय संविधान के अनुच्छेद−19 में भारतीयों को दिए
गए अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार से सुनिश्चित होती है।
आपकी अभिव्यक्ति आजादी कटु वचनों के लिऐ नहीं होना चाहिए ।
आपका बोलेने का तरिका से आपकी नं. टीआरपी बहुत सराहनीय हो सकती हैं । प्रेस की शक्ति से किसी भी शक्तिशाली से आप सवाल कर सकते हैं । लेकिन लोकतंत्र में संविधान शक्ति हैं । आप प्रेस की शक्ति से समाज की विसंगतियों व गलत के लिये आवाज़ से दूर कर करते हो । किसी भी समाचार पत्र , मीडिया पर अनगर्ल सेंसरशिप लगाना या उसे ज्वंलत सामायिक विषयों पर अपने या अपने संवाददाताओं के विचारों को प्रकाशित करने से रोकना भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लघन होगा । यह अधिकार नागरिकों को भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर हीं नही बल्की इसकी सीमाओं के पार भी प्राप्त हैं । प्रेस की स्वतंत्रता को लोकतांत्रात्मक समाज में और सब स्वंतत्रताओं की जननी माना जाता हैं , किंतु यह नितांत निरंकुश और अपने में पूर्ण नहीं हो सकती । अनियंत्रित भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तो बेलगाम उच्छृंखलता में बदल सकती हैं । जिसका नतीजा हो सकता हैं अव्यवस्था और अराजकता । समाचार व मीडिया का दायित्व है कि वह इस स्वंतत्रता को गलत समझकर अपने उत्तरदायी होने के कर्त्तव्य को न भूलें । अगर कोई भी समाचार पत्र , मीडिया अनुचित , अवैध अथवा शैतानी भरी झुठी बात छापना , बताना व दिखाना और अपनी स्वंत्रता का दूरुपयोग करता हैं तो उसे न्यायालय से सजा मिलना तय हैं । अत: यह आवश्यक हो गया हैं कि मीडिया माध्ममों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए भी कुछ प्रतिबंध अवश्य हो ।
मानहानि – भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से किसी नागरिक को किसी व्यक्ति की मानहानि करने का अधिकारी नहीं बना देगा ।
व्यक्ति को घृणा , मजाक या तिरस्कार का पात्र बनाकर पेश करना मानहानि हैं । प्रेस व मीडिया भी मानहानि के कानून से बंधा हुआ हैं ।
अपराध के लिए प्रोत्साहन – हत्या या अन्य हिंसक अपराधों के लिए प्रोत्साहित करने से राज्य की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती हैं ।
सम्मेलन – सभाएं , जुलूस और प्रदर्शन लोकतांत्रात्म व्यवस्था के सहज परिणाम हैं । भारत के सभी नागरिकों के लिऐ बिना हथियार के शान्तिपुर्वक सम्मेलन कर सकते हैं । स्वंतत्रता का दूरुपयोग होने पर
प्रतिबंधित भी रहेगा ।
भारत की संप्रभुता तथा अखंडता – कोई भी व्यक्ति भारत की अखंडता या संप्रभुता को चुनौती न दे सकता हैं ।
आप अपने अधिकार के दायरे में रहकर बोलने , लिखने व सभी माध्यम से संपूर्ण अभिव्यक्ति स्वंतत्र अधिकारी हो । भारत देश
मे किसी के लिए भी आप खड़े होना यही मानवकल्याणकारी कार्य
हैं । कोई भी लोकतंत्र का शक्तिशाली अपने प्रभाव से पत्रकार मीडिया को अपना बनाकर रखना , जनता सब जानती हैं । सत्ता के
लिए पत्रकार मीडिया का गलत उपयोग करना बहुत हानिकारक रहता हैं । पत्रकार मीडिया अपने को जज या सुप्रीम बनना समझते हैं,
इसलिऐ बहुत विसंगतियाँ होकर स्वयं एवं दूसरों को भी गढ्ढे में डालते हैं । आप का देशप्रेम स्वयं अपने दिलोदिमाग में रखों । जो सच्चा
पत्रकार मीडिया हैं वह गलत दिशा में जाता नही हैं ।
राजू गजभिये