प्रेरक प्रसंग
एक घोड़े और एक चींटी में गहरी दोस्ती थी। एक दिन घोड़े ने चींटी से कहा चलो मै तुम्हें इस पहाड़ के उस तरफ एक बहुत ही सुन्दर स्थान है वहाँ तुम्हे ले चलता हूँ । तुम मेरी पीठ पर सवार हो जाओ। चींटी ने कहा तुम एक दिन तो लेकर जा सकते पर अगर मेरा मन वहाँ दुबारा जाने का करे तो मैं कैसे जाऊँगी। क्योंकि मुझे रास्ता पहचानने में दिक्कत होगी। इसलिये तुम मुझे रास्ता बतला दो मै खुद वहाँ कोशिश करके पहुँच जाऊँगी।इस पर घोड़ा हँसने लगा और उसने कहा तुम इतनी छोटी सी हो तुम्हे वहाँ पहुँचने मे महिनों लग जायेंगे।पर आत्मविश्वास से परिपूर्ण वह चींटी अपनी बात पर अड़ी रही। आखिर हारकर घोड़े को रास्ता बताना पड़ा। उसने चींटी को चुनौती दी कि अगर वह दस दिन के अन्दर वहाँ पहुँच कर दिखाये तो वह मान जायेगा कि उसके आत्मविश्वास में दम है। चींटी ने चुनौती स्वीकार कर अपनी यात्रा प्रारंभ कर दी।चींटी बहुत बुद्धिमान थी। चलते चलते उसे रास्ते पीपल का सूखा पत्ता मिला वह उस पर मजबूती से बैठ गई।पत्ता हवा में उड़ता हुआ एक बैलगाड़ी जो उस रास्ते से जा रही थी पर जाकर गिरा।वह चींटी उस पत्ते पर डटी रही और उसने अपनी अधिकाँश यात्रा बैलगाड़ी से पूरी की। यात्रा का अन्तिम चरण उसने एक बकरी की सेवा लेकर और पैदल चलकर सम्पन्न किया और निर्धारित समय से पहले पहाड़ पार कर उस सुन्दर स्थान पर पहुँच गई। घोड़ा जब उस स्थान पर पहुँचा तो देखकर अचँभित् रह गया कि चींटी उससे पहले पहुँचकर उसकी प्रतीक्षा कर रही थी। उसने चींटी से अपनी हार स्वीकार कर,चींटी को गुड़ की डली से पुरस्कृत किया। इस प्रसंग से यह सिद्ध होता है कि छोटे से छोटा व्यक्ति यदि आत्मविश्वास और कुछ कर गुजरने की लगन हो तो बड़ों बड़ों को मात दे सकता है।