प्रेरक गीत
प्रेरक गीत
जीवन के अनजाने पथ से पीछे हट न आना है
शूलों को भी फूल बनाकर मंजिल तुमको पाना है ।
नहीं भ्रान्त हो नहीं श्रान्त हो जीवन में संघर्षों से
जीवन की क्षण भंगुरता में शव में सौ फूल खिलाना है।
कांटो को जो सहर्ष अपनाया फूल स्वयं मिल जाएंगे
मंजिल तेरी दूर सही पर कभी नहीं घबराना है।
तुम्ही देश के कर्णधार हो तुम्हीं देश के हो उत्कर्ष
उत्साहों का नव संचार हर मन में तुमको लाना है।
रुको नहीं तुम थको नहीं तुम इन संघर्ष प्रपातो से
जगती की सुन्दर बगिया का कोना-कोना महकाना है।