प्रेम
********प्रेम (कुण्लियाँ)**********
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1
प्रेम – कटोरा सुधा का,पिएं भाग्यशाली
खुदा के बंदे पी गए , रह गए बलशाली
तू मत बन नादान, अवसर लाभ उठाइए
मिला मान सनमान,पी पी लुत्फ उठाइए
अगर तुम गए चूक , उम्रभर रहेगा झोरा
वंचित रखे ये भूल ,सुधा का प्रेम कटोरा
2
प्रेम बिना कुछ भी नहीं,सूना है यह जहां
प्रेम महान अस्त्र-शस्त्र है, मुट्ठी में है जहां
मिल जाता है मान, जीता जाए है यद्ध
प्रेम मनुज की जान,खोती जाती सुध बुध
हाल करे बेहाल , जब रंग बे-रंग हो प्रेम
मकड़़ी का सा जाल फंसाता है बीच प्रेम
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)