प्रेम
प्रेम परिहास करता है
कि दिल है तो दर्द सहो
आंखे नम हो फिर भी
होठों से हंसते ही रहो?
~ सिद्धार्थ
समंदर को सूखने से बचाने के लिए ही
गढ़े गए हमारी तुम्हारी तरह की नदियों को
कि समंदर जीता रहे, समंदर आयुष्मान रहे
~ सिद्धार्थ
प्रेम परिहास करता है
कि दिल है तो दर्द सहो
आंखे नम हो फिर भी
होठों से हंसते ही रहो?
~ सिद्धार्थ
समंदर को सूखने से बचाने के लिए ही
गढ़े गए हमारी तुम्हारी तरह की नदियों को
कि समंदर जीता रहे, समंदर आयुष्मान रहे
~ सिद्धार्थ