प्रेम
मिटना पड़ता सदा प्रेम में,
अस्तित्व मिटाना पड़ता है।
स्वादहीन पानी शर्बत हो,
चीनी को मिटना पड़ता है।।
मूल्यहीन जल दूध में मिलकर,
खुद को दूध बना लेता है।
भाग्य बदल जाता है उसका,
खुद को मूल्यवान कर लेता है।।
पूर्ण समर्पण शर्त प्रेम की,
इसका हो या उसका हो।
मीरा, राधा, हीर, रांझा
या फिर चाहे जिसका को।।
अनुरागी हो सत्यनिष्ठ हो,
प्रेमी के प्रति एकनिष्ठ हो।
आशाहीन व एक तरफा हो,
यदि ऐसा है तो विशिष्ठ हो।।