प्रेम …
प्रेम …
अनुपम आभास का
चिर जीवित
अहसास है
प्रेम
मौन बंधनों से
उन्मुक्त उन्माद की
अनबुझ प्यास है
प्रेम
अव्यक्त अभिव्यक्ति
का असीमित
उल्लास है
प्रेम
निःशब्द शब्दों को
भावों की लहरों पर
मुखरित करने का
आधार है
प्रेम
अपूर्णता को
पूर्णता में परिवर्तित कर
अंतस को
मधु शृंगार से सृजित कर
प्रेमासक्ति की अभिव्यक्ति का
अनुपम उपहार है
प्रेम
सुशील सरना/26-2-24