प्रेम
प्रेम का मन कविता है
इसका देह कविता की अभिव्यक्ति
रचता रहा है एक कथा
सुख से सुंदर
या विचलित होकर व्यथा।
नेह प्रफ़्फुलित हो तो
परवाह चिंतित हो तो
जीता हुआ प्रेम है।
प्रेम का मन कविता है
इसका देह कविता की अभिव्यक्ति
रचता रहा है एक कथा
सुख से सुंदर
या विचलित होकर व्यथा।
नेह प्रफ़्फुलित हो तो
परवाह चिंतित हो तो
जीता हुआ प्रेम है।