प्रेम सुखद एहसास।
जीवन की बुनियाद है, प्रेम सुखद एहसास
प्रेम मधुर रस, रंग है , उड़ता हुआ सुवास।
प्रेम ह्रदय निर्मल करे, कलुष मिटे, संताप
सुख-सरिता कलकल बहे,बिन माला,बिन जाप।
प्रेम मलय, शीतल पवन, घनी विटप की छाँव
मृदुल राग, छमछम ध्वनित, जैसे घुँघरू पाँव।
सृष्टि प्रेम – अभिसिक्त है, यही जगत् आधार
बिन धागा, बिन डोर के, बँधा हुआ संसार।
अनिल मिश्र प्रहरी।