प्रेम समझ नही आता
प्रेम बड़ा अजीब शब्द है , प्रेम को समझना इतना आसान भी नही है कि इसमें दो और दो जोड़ो तो चार हो जाते हैं , प्रेम अंतर्मन से निकलने वाला एक आध्यात्मिक गुण है , जिसे सीखना पड़ता है ,प्रेम के साथ साथ व्यक्ति में दया, करुणा, केयरिंग, तथा साथ रहने और देने के गुण अपने आप आ जाते हैं ,इनके लिए कोई मशक्कत नही करनी पड़ती ।
खैर प्रेम में पड़ा इंसान दीवाना होता है , बस उसे प्रेमिका की सुंदर सुंदर बाते ,छवियां,ख्याल ,और उसके विचार दिखते हैं ,और वह उसी से अपने मन मस्तिष्क में पुलाव पकाता रहता है , कि दुनिया मे उससे अच्छा कोई है ही नही , वह तो यूनिक है , कोहिनूर का हीरा है ,और तो और वह साक्षात लक्ष्मी भी है ।
लेकिन क्या पता जन जागरूकता और सूचना के दौर में सीधे साधे आशिकों का पत्ता कट जाता हैं , यू कहे तो ‘भाभी जी को कोई दूसरा पसंद आ जाता है , या भइया जी भाभी जी को अपने माता की बहू बनाने के सपने देखते हैं और आख़िर में ‘ ब्रेकअप हो जाता है ।
पहली बार इश्क़ में पड़ा इंसान फीमेल कंडीडेट के सामने बहुत फेकता है कि ” माने हम स्कूल के टॉपर थे , सारी लडकिया हमारी फैन थी , सब सर हमको ही मानते थे , और तो और स्कूल और कॉलेज के लडकिया हमसे ही अपना डाउट किलयर कराते थे । ”
फीमेल कंडीडेट बस सुनती है ,ठहाके लगाती हैं ,हा यार बहुत तेज तर्रार लड़का है ,और तब धीरे धीरे वार्ता होगा, मिलन होगा , हँसना रोना होगा, व्हाट्सएप और फेसबुक का मैसेज हस्तांरण होगा , लेकिन दोनों में प्यार नही होगा । क्योकि दोनों दोस्त हैं ।
बाबु ये प्रेम है पता ही नही चलता कि प्रेम हो रहा है कि नही हो रहा है , उसे कहु की प्रेम करता हूँ ,की वो पहले कहे कि मैं तुमसे प्रेम करती हूं , ये इंतजार की बेला मन मस्तिष्क में बहुत पुलाव भर देता हैं , फिर कुछ समय बाद एक कहने की हिम्मत करेगा,तो दूसरा रिजेक्ट करने का दावा ,हो गई प्रेम ,हो गया आध्यात्मिक गुण का उत्थान , साहेब ”
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय । ये दोहा न तुमको सन्यासी बना देगा । फिर रहना तुम उसके बिना नस काटकर ।
देखो प्रेम पड़ा अनुभवी इंसान प्रेम करने की नही सोचता ,वह उस पल का केवल मजा लेता है जिस पल में उसकी पसंद की प्रेमिका उसके सामने आती है ,वह उसकी यादों को मजा लेता है , वह दिल टूटने पर उसे गाली नही देता बल्कि उसे सिर्फ अपने जिंदगी का एक पन्ना समझता है ।
ताडिपारो की तो बात ही मत करो , उनके लिए प्रेम एक भूख है ,उनका अपना सिद्धान्त है ” ई बताओ ई दिखती बड़ी कमाल की है , इसका नम्बर कैसे मिलेगा , और नम्बर से वह बेडरूम तक जाने का प्लान कर लेते है ।
लडकिया भी कम नही है प्रेम में !” साहेब सारी जंग नारी की तो हैं , पुरुषो का क्या है यह तो उधार का एक थैला है ,बेचारो का इधर से भी कटता है और दोस्तो से भी । कल तक दोस्तो के नजर में मजनू और सबसे बड़ा आशिक था, और प्रेमिका उनकी भाभी , फिर क्या दोस्तो ने भी कूटा , भाभी ने तो दिल का तहस नहस कर दिया । लडकिया अक्सर कुछ समय बाद सम्भल कर दूसरे जादगुर के पास खिंची चली जाती हैं , पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का नियम लगने लगता है उनमें , लेकिन पुरुष वही धरा का धरा ,उसी देवी ,कोहिनूर और माशूका के सपने देखता रहेगा । उसे टीवी पर दिखने वाला मोहब्बत का हर पिक्चर अपनी पिक्चर लगती है ,बेचारे के लिए कोई गुरुत्वाकर्षण का नियम नही लगता है ।
लेकिन वास्तव में प्रेम ऐसा नही होता , कैसा होता मुझे भी नही पता ,लेकिन प्रेम का व्यवहारिक अर्थ ” एक दूसरे से लगाव होता है” जिसमे दोनों एक दूसरे की बेहपनाह केयर करते हैं ।
” किसी ने खूब कहा है
” अगर आप किसी से प्रेम करने की हिम्मत रखते हो तो उसे भुलाने की भी हिम्मत रखो ।”
और एक अनुभवी इंसान कहता है प्रेम के बारे में
” हुई रात तो सबेरा ना हुआ ,
वह चली गई ,और हम हस्ते रह गए ।”
~Rohit