प्रेम सत्य है ।
कविता :- 16(49)
-: प्रेम सत्य है। :-
नेहा , अणु, और जूली में ऐसी मित्रता थी कि पूछो मत , पूजा पाठ में माहिर पर कर्म में नहीं, और वह रोशन लला ज्ञानी होते हुए भी अज्ञानी वह कैसे तो आईए बताते है, लला की बारहवीं की परीक्षा और उन तीनों की ग्यारहवीं की, वह बेचारा अपना परीक्षा को महत्व न देकर अपनी प्रिय की परीक्षा की तैयारी में लग गये दोनों का राजनीति शास्त्र का ही परीक्षा रहा,फिर क्या लला तीनों को दिन रात पढ़ाये , परिणाम आया वह तीनों तो सफल हुई, लला भी प्रथम श्रेणी से बारहवीं पास हुआ, और
यही सच्चा प्यार झलकने लगता है, कि राजनीति विज्ञान में ही लला का सबसे अधिक अंक आया, फिर क्या वह तीनों लला से ही बारहवीं कक्षा तक पढ़ी , वे लोग भी अच्छे अंक बारहवीं में प्राप्त की,तब तक लला का उतना मान सम्मान करती रही कि पूछो मत , आज वही लला को देखकर तीनों के तीनों मुंह घुमा लेती हैं .तो क्या लला का मान सम्मान घट गया नहीं,वह परिश्रम से अपने हर कामयाबी को पाते गया,
यहां वक्त के साथ सब बदल जाते हैं, आप लोग दरियादिल रहीम को जानते ही होंगे, उनके साथ भी ऐसे ही हुआ, ये दुनिया ” फूल तोड़ लेते और कांटे छोड़ देते ” ।
” वे रहीम अब बिरह कहँ ,जिनकर छाँह गंभीर ,
बागन बिच – बिच देखित सेहुड़ कुटज करीर । ।
✍️ रोशन कुमार झा ??
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो :-6290640716