प्रेम में शक्ति प्रेम है भक्ति,छंद- विष्णु पद१६+१०=२६मात्रा
प्रेम में शक्ति प्रेम है भक्ति, बस करते जाओ।
जीवन का पथ सरल सुगम है ,डग भरते जाओ।।
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प्रेम किया था मीरा ने जो,
तुम भी आज करो।
इस दुनिया के झंझट से तब,
खुद को पार करो।।
प्रेम सपर्पण है जीवन का ,बस करते जाओ।।
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प्रेम किया था शबरी ने भी,
निश्छल तन-मन से ।
प्रेम किया था अर्जुन ने भी
पूर्ण समर्पण से।।
वो ही प्रेम तुम्हें करना है
अब अभ्यास करो।
दुनिया में आने जाने से
खुद को मुक्त करो।।
निश्छल मन से नाम प्रभू का, तुम भजते जाओ।
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सारे जग का ही रखवाला ,
वो किशन-कन्हैया।
जिसने उसको सहज पुकारा,
वो तरता नैया।।
जिस-जिस ने अपनाया उसको,
बेड़ा पार किया।
झोली भर दी धन वैभव से,
सब धन धान्य दिया।
मैं भी तेरा इक सेवक हूं, मुझको तर जाओ।।
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