प्रेम पथ
प्रेम पथ
अति सम्मोहित प्रेम नगर
प्रवेश जटिल, विकट डगर
फूंक- फूंक पग धरते बटोही
बाट लक्ष्य की पाते मगर।
प्रीत का लक्ष्य सागर अनल
रहते निसदिन नयन सजल
प्रस्फुटित ज्वार भाटा हृदय की
अरु फुटते ज्वालामुखी पल- पल
तैर सके जो कांच सरिता
लक्ष्य वही भेद पाते हैं
शूल भरा पथ जो जोहे
साजन उसे मिल जाते हैं।
इतिहास में जीवित रहते वे
अमर दुनिया में हो जाते हैं
जन-जन की वाणी में होते
प्रभु भी शीश झुकाते हैं।
ललिता कश्यप जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश