वो लड़की
“वो लड़की”
पेड़ के नीचे
पहरों बैठी लड़की ,
देर तलक
तने पर लिखे नाम पर
उंगलियाँ फिराती लड़की ,
रुक रुक कर
नज़रें घुमाती लड़की ,
पत्तियां गिन गिन कर
वक़्त बिताती लड़की ,
डाली पर बैठे पंछियों से
न जाने क्या बुदबुदाती लड़की,
आहट पाते ही किसी की
सुध बुध खो जाती लड़की ,
कोई कहता नीम पागल
कोई कहता दिवानी लड़की ,
खुद ही रोती,
खुद ही हंसती ,
इश्क की सज़ा पाती लड़की,,,,,,
नम्रता सरन “सोना “