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24 Nov 2022 · 1 min read

प्रेम दोहावली 1

*********** प्रेम दोहावली ***********
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खड़ी पिया हूँ बाट में,आइए जी हुजूर।
पलकें भी झपकीं नही,नयन हुए हैं चूर।।

प्रेयसी जिद्द पर अड़ी , देती है सफाई।
जिस संग है प्रीत लड़ी ,वो हुई हरजाई।।

चाँद – चकोरी रूप है, मर मिट जाऊं रोज।
आंगन आकर जो खिले,हो जाए फिर मौज।।

बाट जोहू राह खड़ा , गौरी होगी पास।
उम्मीद पर है जग टिका,बुझेगी कभी प्यास।

देखा है जिस रोज से ,बिगड़ें हैं हालात।
देर हुई किसी और की,बिगड़ी बनती बात।।

पल-पल है मुश्किल हुआ,सीने लगी है आग।
रूहों में जंग छिड़ी,छिड़ा प्रेम का राग।।

मनसीरत किस से कहे, हृदय मे बंद राज।
प्रेम दर्द को सह रहा,काबू में नहीं बाज।।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली

Language: Hindi
116 Views

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