प्रेम गीत
मैं तो रोगी हुआ जान तेरे प्यार में,
अब आके खुद ही मेरा दवा कीजिए।
तर-बतर हो गया है तन ये स्वेद से,
अपने पल्लू से ठंडी हवा कीजिये।
अभिलाषी हूँ मैं तो तेरे इक झलक का।
तुम हो उपचार केवल मेरी इस सनक का।
कर सकूँ हर बात मैं अपने दिल की,
मुझको ही अपना हमनवा कीजिए।
मैं तो रोगी हुआ जान तेरे प्यार में,
अब आके खुद ही मेरा दवा कीजिए।
अब न होता है और इंतजार मुझे।
एक पल भी न रहता करार मुझे।
यूँ रहूँ दूर कब तक आपसे भला,
आपही जाँ अब मुझको अगवा कीजिए।
मैं तो रोगी हुआ जान तेरे प्यार में,
अब आके खुद ही मेरा दवा कीजिए।
क्या हुई है ख़ता जाँ अब दो बता।
आ न पाऊँ मैं खुद,न पता है पता।
जो जो पहले हुआ वो अब न होगा कभी,
नई मुलाकातों को अब न कड़वा कीजिए।
मैं तो रोगी हुआ जान तेरे प्यार में,
अब आके खुद ही मेरा दवा कीजिए।
भा जाती है मुझको तेरी ये सादगी।
तन-बदन में जगाती है मेरे ताजगी।
वैसे दिल तो मेरा है बहुत ही जवाँ,
छूकर दिल को और भी जवाँ कीजिए।
मैं तो रोगी हुआ जान तेरे प्यार में,
अब आके खुद ही मेरा दवा कीजिए।