*प्रेम गीत*
है आज इच्छा व्यक्त कर दूँ, दिल की समस्त उद् वेदना,
कर लूँ कलमबद्ध आज अपने, मन की सभी संवेदना।
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अपने शब्दों को पिरोकर, लयबद्ध गाऊँ मधुर संगीत,
नए प्रेमी युगलों के खातिर, लिखुँ अनोखा प्रेम गीत।।
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बन के नायक प्रेमी कवि, बिखेरुँ नए झंकार को,
तू क्यूँ छबीली चपल चंचल, छेड़े मन के तार को।
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कर नायिका मनभावनी, मनको लुभाये श्रृंगार नित,
नए प्रेमी युगलों के खातिर, लिखुँ अनोखा प्रेम गीत।।
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प्रेम की परिभाषा क्या है, कहुँ कैसी इसकी रीत है,
एक दूसरे पर मर मिटे ये, इनकी हार है कि जीत है।
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भूल जाते अपना पराया, कैसी अनोखी सरल प्रीत,
नए प्रेमी युगलों के खातिर, लिखुँ अनोखा प्रेम गीत।।
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प्रेरणा जो पाया चिद्रूप, उस स्वाति बूंद के विश्वास से,
जग में बिखेरू चन्द्रकिरण, तुच्छ चिराग के प्रकाश से।
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फिर खुद ही वो चली आएगी, बनने हमारी परम मीत,
नए प्रेमी युगलों के खातिर, लिखुँ अनोखा प्रेम गीत।।
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©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २६/१०/२०१८ )