प्रेम-गीत
मिलना ही न था
मुझे प्यार तुम्हारा
बनना ही न था
कभी यार तुम्हारा…
(१)
वहीं जहां मैंने
देखा था तुमको
करता ही रहा
इंतज़ार तुम्हारा…
(२)
ज़िंदगी में तो
मुमकिन न हुआ
ख़्वाबों में मिला
दीदार तुम्हारा…
(३)
न जीने दे
न मरने मुझे
फिर से आने का
इकरार तुम्हारा…
(४)
मासूमियत से
भरा हुआ
अभी तक याद है
इज़हार तुम्हारा…
(५)
मेरे अंतर्मन को
छू गया था
वह अपनेपन का
व्यवहार तुम्हारा…
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Shekhar Chandra Mitra
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