प्रेम के दोहे
*********** प्रेम दोहावली ***********
**********************************
खड़ी पिया हूँ बाट में,आइए जी हुजूर।
पलकें भी झपकीं नही,नयन हुए हैं चूर।।
प्रेयसी जिद्द पर अड़ी , देती है सफाई।
जिस संग है प्रीत लड़ी ,वो हुई हरजाई।।
चाँद – चकोरी रूप है, मर मिट जाऊं रोज।
आंगन आकर जो खिले,हो जाए फिर मौज।।
बाट जोहू राह खड़ा , गौरी होगी पास।
उम्मीद पर है जग टिका,बुझेगी कभी प्यास।
देखा है जिस रोज से ,बिगड़ें हैं हालात।
देर हुई किसी और की,बिगड़ी बनती बात।।
पल-पल है मुश्किल हुआ,सीने लगी है आग।
रूहों में जंग छिड़ी,छिड़ा प्रेम का राग।।
मनसीरत किस से कहे, हृदय मे बंद राज।
प्रेम दर्द को सह रहा,काबू में नहीं बाज।।
*********************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली