प्रेम के दोहे
********* प्रेम के दोहे ***********
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मेघ गरजते गगन में , बूँद गिरे रसधार
प्यासा मन है बावरा, आ जाओ घर द्वार
बादल छाये गगन में,बिजली चमके जोर
अंग प्रत्यंग जल उठे,पिया मिलन की लोर
बदली बरसी गगन से,धरा की मिटी प्यास
पपीहे सा तन प्यासा , मनवा बहुत उदास
शीत आर्द्र हवा चली , जाग उठा अनुराग
तनबदन है सिहर उठा , कौन बुझाए आग
सुखविंद्र खड़ा राह में , दोनों बाँह पसार
आ जाओ आलिंगन में , मन में प्रेम अपार
-सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)