प्रेम किसी दूसरे शख्स से…
प्रेम किसी दूसरे शख्स से…
असल में उतना नही होता जितना हमे अपनी कल्पनाओं में उससे होता है,
हम किसी और से नही बल्कि अपनी ही कल्पना में बनाई हुई अपने ही एक तस्वीर से प्रेम कर रहे होते हैं ..
जो कल्पना नही कर सकते
वो प्रेम भी नही कर सकते।