प्रेम का स्पर्श
हमारे प्रेम की इस लीला में ,
तुम किसी पेड़ की शाखाओं से लिपटी हुई लता सी हो।
जो अपनी भुजाओं में मुझमें लिपटती चली जाती हो
अंत सिरे तक। जहां मेरी भुआओ का अंत तुम्हारे
खिले फूल पत्तो से सुशोभित रहता है।
और मैं स्थिर बिना किसी विरोध के तुम्हारे
प्रेम के छुअन का एहसास लेते रहता हूँ।