प्रेम का तोहफा
* प्रेम का तोहफा
अतुलित अनुपम प्रिय अनामिका।
प्रियतम की अति दिव्य राधिका।।
उर्मिल स्नेहिल सुन्दर आनन।
प्रीति सार मोहक शिव आँगन।।
रहिए पास हमेशा प्यारे।
हे अनामिका!मधुरिम तारे।।
तुझ सा यहाँ न कोई जग में।
प्यार भरा तेरे रग-रग में।।
प्यार भरे शब्दों को बोलो।
प्रियतम के मुँह में रस घोलो।।
एक ब्रह्ममय रूप दिखे अब।
आयेगा आनंद सकल तब।।
आएगी खुश ले कर प्याला।
सहज पिलायेगी मधु हाला।।
साकी साथी प्रिय अनामिका।
सदा लगेगी प्रेम साधिका।।
प्रियतम कहता मधुर वचन है।
बिन अनामिका नहीं सृजन है।।
है अनामिका कोमल भावन।
भव्य मोहिनी सुघर लुभावन।।
कहीं न जाना हर पल रहना।
प्रेमिल प्रतिमा बनकर दिखना।।
मुस्कानों से जी भर देना।
नित उमंग बन दुख हर लेना।।
प्रियतम संग हमेशा खेलो।
घूंघट के पट अब प्रिय खोलो।।
प्रियतम तेरे खड़ा द्वार है।
प्रेम तत्व अनमोल प्यार है।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी