Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Sep 2021 · 1 min read

प्रेम का आधार शाश्वत

#विषय ? #प्रेम
#विधा? #गीत

रचना

संबंध का आधार शाश्वत, प्रेम जीवन सार है।
हेतु नहीं एक याम का यह, प्रेम भव आधार है।।

जब प्रेम पलता चहुँदिशा में, स्वार्थ रहता दूर है।
जो स्वार्थ साधक प्रेम करता, द्वेष उर भरपूर है।।
मिथ्या नहीं यह बात सच, गर हो सके तो मानिए।
है प्रेम मीरा, प्रेम राधा, देखिये अरु जानिए।।

प्रतिरूप यह परमात्मा का, तीज हर त्यौहार है।
संबंध का आधार शाश्वत, प्रेम जीवन सार है।

जो प्रेम पलता है हृदय तब, जग लगे रंगीन है।
बिन प्रेम के दुनिया अजब सी, लख रही संगीन है।।
इस प्रेम के वश हो विदुर घर, श्याम खाये साक थे।
भर प्रेम उर लंका को हनुमत, कर गये तब खाक थे।।

राधा सिया हनुमत व तुलसी, प्रेम का विस्तार हैं।
संबंध का आधार शाश्वत, प्रेम जीवन सार है।।

शबरी के जूठे बेर में भी, प्रेम दिखता था जिन्हें।
तब प्रेमवश हो बेर खाये, राम कहते हैं उन्हें।।
यह प्रेम देकर के हमें सब, कुछ नहीं है मांगता।
मर्याद में रहता सदा सीमा नहीं है लांघता।।

शबरी सुदामा सूर का यह, प्रेम तारणहार है।
संबंध का आधार शाश्वत, प्रेम जीवन सार है।।

पूर्णतः स्वरचित , स्वप्रमाणित
पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार

Language: Hindi
Tag: गीत
3 Likes · 3 Comments · 459 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
आमावश की रात में उड़ते जुगनू का प्रकाश पूर्णिमा की चाँदनी को
आमावश की रात में उड़ते जुगनू का प्रकाश पूर्णिमा की चाँदनी को
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मातृशक्ति को नमन
मातृशक्ति को नमन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*नहीं समस्या का हल कोई, किंचित आलौकिक निकलेगा (राधेश्यामी छं
*नहीं समस्या का हल कोई, किंचित आलौकिक निकलेगा (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
फिर तुम्हारी आरिज़ों पे जुल्फ़ याद आई,
फिर तुम्हारी आरिज़ों पे जुल्फ़ याद आई,
Shreedhar
अपनो से भी कोई डरता है
अपनो से भी कोई डरता है
Mahender Singh
खत पढ़कर तू अपने वतन का
खत पढ़कर तू अपने वतन का
gurudeenverma198
ग़म से भरी इस दुनियां में, तू ही अकेला ग़म में नहीं,
ग़म से भरी इस दुनियां में, तू ही अकेला ग़म में नहीं,
Dr.S.P. Gautam
उहे सफलता हवय ।
उहे सफलता हवय ।
Otteri Selvakumar
मायापति की माया!
मायापति की माया!
Sanjay ' शून्य'
"उडना सीखते ही घोंसला छोड़ देते हैं ll
पूर्वार्थ
कोई अपना
कोई अपना
Dr fauzia Naseem shad
3483.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3483.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
आनंद जीवन को सुखद बनाता है
आनंद जीवन को सुखद बनाता है
Shravan singh
* बढ़ेंगे हर कदम *
* बढ़ेंगे हर कदम *
surenderpal vaidya
अब तो ऐसा कोई दिया जलाया जाये....
अब तो ऐसा कोई दिया जलाया जाये....
shabina. Naaz
आज हैं कल हम ना होंगे
आज हैं कल हम ना होंगे
DrLakshman Jha Parimal
प्रभु शुभ कीजिए परिवेश
प्रभु शुभ कीजिए परिवेश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
प्यार आपस में दिलों में भी अगर बसता है
प्यार आपस में दिलों में भी अगर बसता है
Anis Shah
ज़िन्दगी..!!
ज़िन्दगी..!!
पंकज परिंदा
खुद से ज़ब भी मिलता हूँ खुली किताब-सा हो जाता हूँ मैं...!!
खुद से ज़ब भी मिलता हूँ खुली किताब-सा हो जाता हूँ मैं...!!
Ravi Betulwala
"पेंसिल और कलम"
Dr. Kishan tandon kranti
गृहस्थ-योगियों की आत्मा में बसे हैं गुरु गोरखनाथ
गृहस्थ-योगियों की आत्मा में बसे हैं गुरु गोरखनाथ
कवि रमेशराज
वक्त की नज़ाकत और सामने वाले की शराफ़त,
वक्त की नज़ाकत और सामने वाले की शराफ़त,
ओसमणी साहू 'ओश'
ॐ शिव शंकर भोले नाथ र
ॐ शिव शंकर भोले नाथ र
Swami Ganganiya
तिमिर है घनेरा
तिमिर है घनेरा
Satish Srijan
जीवन से ओझल हुए,
जीवन से ओझल हुए,
sushil sarna
वैनिटी बैग
वैनिटी बैग
Awadhesh Singh
अनौठो_संवाद (#नेपाली_लघु_कथा)
अनौठो_संवाद (#नेपाली_लघु_कथा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
बेहद दौलत भरी पड़ी है।
बेहद दौलत भरी पड़ी है।
सत्य कुमार प्रेमी
सिंहासन पावन करो, लम्बोदर भगवान ।
सिंहासन पावन करो, लम्बोदर भगवान ।
जगदीश शर्मा सहज
Loading...