प्रेम ऐसा हो…
प्रेम ऐसा हो –
जैसे हवा का झोंका –
होता है
पर, दिखता नहीं –
छूकर हृदय के तार
फ़िजा में महकता
पर, मुट्ठी के शिकंजे में –
टिकता नहीं
हजारों जतन सब ख़ाक हो जाते
पर, दिखावे की दुनिया में –
बिकता नहीं ।
(मोहिनी तिवारी)
प्रेम ऐसा हो –
जैसे हवा का झोंका –
होता है
पर, दिखता नहीं –
छूकर हृदय के तार
फ़िजा में महकता
पर, मुट्ठी के शिकंजे में –
टिकता नहीं
हजारों जतन सब ख़ाक हो जाते
पर, दिखावे की दुनिया में –
बिकता नहीं ।
(मोहिनी तिवारी)