Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Dec 2023 · 3 min read

प्रेम – एक लेख

प्रेम, ये ढाई अक्षर का शब्द, क्या है? क्या है इसका सही अर्थ? प्रेम की बहुत सारी परिभाषाएं हैं, किंतु क्या ये पूर्ण है। क्या प्रेम को सच में वैसे ही परिभाषित किया गया है जैसा वो है।

कुछ की नजर में प्रेम दो दिलों का मिलना है, कुछ की नज़र में दो आत्माओं का मिलना है तो वही कुछ इसको दो जीवों के मिलन और उनका आजीवन एक दूसरे के साथ रहने को प्रेम कहते हैं। कुछ की नजर में प्रेम पागलपन है। तो वही एक हिंदी गाने के बोल याद आते हैं “बिन तेरे दिल कहीं लगता नही वक्त गुजरता नहीं, क्या यही प्यार है”! वहीं एक दूसरे हिंदी गाने का बोल कुछ यूं परिभाषित करता है, “चलते चलते यूं हीं रुक जाता हूं मैं, बैठे बैठे कहीं खो जाता हूं मैं, कहते कहते ही चुप हो जाता हूं मैं, क्या यही प्यार है”!

क्या सच में ऐसा ही है। प्रेम क्या सिर्फ एक ही बार होता है या यूं कहें कि एक ही से होता है। क्या किसी को पा लेना ही प्यार की सफलता है।

सबकी विचारधारा एक सी नहीं होती, उसी प्रकार सबका प्रेम भी एक सा नहीं हो सकता। तो किसका प्रेम सच्चा और किसका झूठा है ये कौन बताएगा?

आज कल तो प्रेम में धोखा खाने का भी ज़िक्र बहुत ज्यादा होने लगा है। क्या सचमुच में प्रेम में धोखा हो सकता है या जिसे हम प्रेम समझते हैं वो ही एक धोखा है। क्या किसी को पाना या किसी के साथ जीवन गुजारना ही सच्चा प्रेम है।

ढाई अक्षर का प्रेम, ढाई अक्षर के कृष्ण के समान है। जिस प्रकार कृष्ण को समझना मुश्किल है ठीक उसी प्रकार प्रेम को। कृष्ण के समान ही प्रेम का स्वरूप भी बहुत विस्तृत है। इस प्रकार ये समझा सा सकता है के कृष्ण और प्रेम एक दूसरे के पूरक हैं।

प्रेम की परिकल्पना तो निःस्वार्थ होती है फिर प्रेम में धोखा कैसे हो सकता है। जहां स्वार्थ निहित है वहा प्रेम कैसे हुआ! या तो प्रेम हो सकता है या स्वार्थ, दोनों एक साथ नहीं हो सकते। जब आपकी कोई अपेक्षा ही नहीं थी कोई स्वार्थ ही नहीं था तो धोखा कैसे हो सकता है। आत्मा का परमात्मा से मिलन भी तो प्रेम ही है। किसी की खुशी चाहना या किसी को खुश देखना भी तो प्रेम है।

यदि हम ये बोले की प्रेम जीवन में सिर्फ एक ही बार होता है तो ये असत्य है। क्योंकि हम सभी के अंदर ये भावना जन्म के साथ ही जुड़ जाती है और ये निस्वार्थ होती है। जन्म लेने के साथ ही मां के लिए सबसे पहले ये भावना जन्म लेती है। फिर धीरे धीरे पिता के साथ ये भावना जुड़ती है, उसके बाद भाई,बहन, मित्र, पत्नी, पुत्र, पुत्री तथा अन्य के साथ भावनाएं आगे बढ़ती हैं और बदलती रहती हैं। इस तरह से प्रेम का स्वरूप भी समय के साथ बदलता रहता है।

तो प्रेम का स्वरूप बहुत ही विस्तृत है, इसका वर्णन नहीं किया जा सकता, इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है।

© बदनाम बनारसी

8 Likes · 14 Comments · 915 Views

You may also like these posts

सौभाग्य का संकल्प
सौभाग्य का संकल्प
Sudhir srivastava
बुढापा
बुढापा
Ragini Kumari
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
कोशिश बहुत करता हूं कि दर्द ना छलके
कोशिश बहुत करता हूं कि दर्द ना छलके
इंजी. संजय श्रीवास्तव
गुमनाम
गुमनाम
Rambali Mishra
आप कृष्ण सा प्रेम कर लो मुझसे,
आप कृष्ण सा प्रेम कर लो मुझसे,
Swara Kumari arya
दुविधा में हूँ
दुविधा में हूँ
Usha Gupta
4254.💐 *पूर्णिका* 💐
4254.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
यहां कुछ भी स्थाई नहीं है
यहां कुछ भी स्थाई नहीं है
शेखर सिंह
आज पर दिल तो एतबार करे ,
आज पर दिल तो एतबार करे ,
Dr fauzia Naseem shad
"साहस"
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ किताबें और
कुछ किताबें और
Shweta Soni
वो अपने बंधन खुद तय करता है
वो अपने बंधन खुद तय करता है
©️ दामिनी नारायण सिंह
अच्छा रहता
अच्छा रहता
Pratibha Pandey
..
..
*प्रणय*
सावन की बौछार ने,
सावन की बौछार ने,
sushil sarna
मृत्यु तय है
मृत्यु तय है
संतोष बरमैया जय
कई खयालों में...!
कई खयालों में...!
singh kunwar sarvendra vikram
कड़वा सच
कड़वा सच
Jogendar singh
खिचड़ी यदि बर्तन पके,ठीक करे बीमार । प्यासा की कुण्डलिया
खिचड़ी यदि बर्तन पके,ठीक करे बीमार । प्यासा की कुण्डलिया
Vijay kumar Pandey
#यदि . . . !
#यदि . . . !
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
रिसते रिश्ते
रिसते रिश्ते
Arun Prasad
समझ न पाया कोई मुझे क्यों
समझ न पाया कोई मुझे क्यों
Mandar Gangal
हार नहीं, हौसले की जीत
हार नहीं, हौसले की जीत
पूर्वार्थ
दग़ा तुमसे जब कोई, तेरा हमख़्वाब करेगा
दग़ा तुमसे जब कोई, तेरा हमख़्वाब करेगा
gurudeenverma198
निर्णय
निर्णय
राकेश पाठक कठारा
आज बेरोजगारों की पहली सफ़ में बैठे हैं
आज बेरोजगारों की पहली सफ़ में बैठे हैं
गुमनाम 'बाबा'
अंजाम
अंजाम
TAMANNA BILASPURI
बस एक प्रहार कटु वचन का मन बर्फ हो जाए
बस एक प्रहार कटु वचन का मन बर्फ हो जाए
Atul "Krishn"
Loading...