प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे मांस्तिष्क को मानसिक पी
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे मांस्तिष्क को मानसिक पीड़ा ना हो .
प्रेम एक अमृत है, जो जीवन को खुशहाल बनाता है, लेकिन प्रेम का ढंग भी सही होना चाहिए, ताकि जीवन में कोई पीड़ा ना आये।
प्रेम उतना ही करो, जिसमे हृदय खुश रहे, मांस्तिष्क को मानसिक पीड़ा ना हो।
प्रेम में कभी भी स्वार्थ नहीं होना चाहिए, प्रेम हमेशा निस्वार्थ होना चाहिए।
प्रेम में कभी भी किसी का शोषण नहीं करना चाहिए, प्रेम हमेशा सम्मानजनक होना चाहिए।
प्रेम में कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए, प्रेम हमेशा सच्चा होना चाहिए।
प्रेम में कभी भी बदला नहीं लेना चाहिए, प्रेम हमेशा क्षमाशील होना चाहिए।
प्रेम में कभी भी किसी को धोखा नहीं देना चाहिए, प्रेम हमेशा विश्वासपात्र होना चाहिए।
प्रेम में कभी भी किसी को त्याग नहीं करना चाहिए, प्रेम हमेशा सच्चा होना चाहिए।
अगर आप इन बातों का ध्यान रखेंगे, तो आपका प्रेम हमेशा सफल होगा, और आपके जीवन में हमेशा खुशहाली रहेगी।