Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Apr 2024 · 1 min read

प्रेमी ने प्रेम में हमेशा अपना घर और समाज को चुना हैं

प्रेमी ने प्रेम में हमेशा अपना घर और समाज को चुना हैं
“प्रेमी”को नहीं..

248 Views

You may also like these posts

धोखा देना या मिलना एक कर्ज है
धोखा देना या मिलना एक कर्ज है
शेखर सिंह
मेरा मनपसंदीदा शख्स अब मेरा नहीं रहा
मेरा मनपसंदीदा शख्स अब मेरा नहीं रहा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
रद्दी के भाव बिक गयी मोहब्बत मेरी
रद्दी के भाव बिक गयी मोहब्बत मेरी
Abhishek prabal
अनकहा रिश्ता (कविता)
अनकहा रिश्ता (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
उम्मीदों का सूरज ढलने लगा है
उम्मीदों का सूरज ढलने लगा है
पूर्वार्थ
संबंधो में अपनापन हो
संबंधो में अपनापन हो
संजय कुमार संजू
मेरे बस में नहीं मेरे जज्बात हैं अब
मेरे बस में नहीं मेरे जज्बात हैं अब
Jyoti Roshni
**माटी जन्मभूमि की**
**माटी जन्मभूमि की**
लक्ष्मण 'बिजनौरी'
■हरियाणा■
■हरियाणा■
*प्रणय*
परमारथ कर प्राणिया, दया धरम अर दान।
परमारथ कर प्राणिया, दया धरम अर दान।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
कभी जलाए गए और कभी खुद हीं जले
कभी जलाए गए और कभी खुद हीं जले
Shweta Soni
- तेरे बिना जी नही पाऊंगा -
- तेरे बिना जी नही पाऊंगा -
bharat gehlot
।। अछूत ।।
।। अछूत ।।
साहित्य गौरव
कलयुग का प्रहार
कलयुग का प्रहार
Jai Prakash Srivastav
अब तलक तुमको
अब तलक तुमको
Dr fauzia Naseem shad
कर के मजदूरी बचपन निकलता रहा
कर के मजदूरी बचपन निकलता रहा
Dr Archana Gupta
सुमिरन ,ध्यान ,योग, सरल जीवन शैली मनुष्य को सरलता का समर्थन
सुमिरन ,ध्यान ,योग, सरल जीवन शैली मनुष्य को सरलता का समर्थन
Shashi kala vyas
बदलता भारत
बदलता भारत
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
भीगीं पलकें
भीगीं पलकें
Santosh kumar Miri
कभी यदि मिलना हुआ फिर से
कभी यदि मिलना हुआ फिर से
Dr Manju Saini
नये वर्ष का आगम-निर्गम
नये वर्ष का आगम-निर्गम
Ramswaroop Dinkar
*लम्हा  प्यारा सा पल में  गुजर जाएगा*
*लम्हा प्यारा सा पल में गुजर जाएगा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सोचा ना था ऐसे भी जमाने होंगे
सोचा ना था ऐसे भी जमाने होंगे
Jitendra Chhonkar
"मकसद"
Dr. Kishan tandon kranti
*जो न सोचा वो हूँ*
*जो न सोचा वो हूँ*
Dr. Vaishali Verma
मेरी हर अध्याय तुमसे ही
मेरी हर अध्याय तुमसे ही
Krishna Manshi
*साधारण दण्डक* (208) नवीन प्रस्तारित
*साधारण दण्डक* (208) नवीन प्रस्तारित
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
कर्मों के अनुरूप ही,
कर्मों के अनुरूप ही,
sushil sarna
तिरंगा
तिरंगा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...