“” *प्रेमलता* “” ( *मेरी माँ* )
“” प्रेमलता “”
( मेरी माँ )
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( 1 )” प्रे “, प्रेरणा की स्रोत रही सदा ” माँ “,
जीवनभर कुछ ना कुछ सिखलाया !
” माँ “, थी अनुभव की अनंत आसमां….,
जीवन जीने का गुर और पाठ पढ़ाया !!
( 2 )” म “, ममता स्नेह दया प्रेम की मूरत
था ” माँ “, का वात्सल्य बड़ा ही अप्रतिम !
जीवन की हरेक कठिन परिस्थितियों में.,
रहा ” माँ “, का सदा खिलता शुभानन !!
( 3 )” ल “, लगन धुन की पक्की थी ” माँ “,
भरा धैर्य संतोष था उनमें अथाह !
सबसे मुस्कुराकर मिलती थी “*माँ* “..,
कभी करती नहीं थी चिंता परवाह !!
( 4 )” ता “, ताउम्र बनी रहीं ” माँ ” सदा सक्रिय
हर काम किया बड़ी मेहनत के संग-साथ !
जीवन के हर एक उतार चढ़ाव को….,
निभाया बड़ी ही सूझ-बूझ के साथ !!
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सुनीलानंद
शुक्रवार
10 मई, 2024
जयपुर
राजस्थान |