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18 Jun 2021 · 2 min read

प्रेमचंद की जीवनी

ईदगाह के परिपक्व बचपना की तस्वीर को दुनिया में लेखनी के माध्यम से दिखाने वाले धनपत राय श्रीवास्तव का जन्म 31.07.1880 को हुआ। प्रेमचंद’ नाम रखने से पहले, सरकारी नौकरी करते हुए वे अपनी रचनाएं ‘नवाब राय’ के रूप में प्रकाशित करवाते थे, लेकिन जब सरकार ने उनका पहला कहानी-संग्रह, ‘सोज़े वतन’ जब्त किया, तब ‘ज़माना’ के संपादक मुंशी दयानरायन निगम की सलाह पर आपने अपना नाम परिवर्तित कर ‘प्रेमचंद’ रख लिया।

प्रेमचंद कलम के सच्चे सिपाही हैं । है इसलिए क्योंकि लेखनी हमेशा अमर रहती हैं । उन्होंने अपने 56 वर्ष के जीवनकाल में 23 उपन्यास, 350 के करीब कहानियां, तीन नाटक , 10 अनुवाद , 7 बाल पुस्तकें तथा हज़ारों पृष्ठों के लेख और संपादकीय की रचना की , जो आज विद्यार्थियों के शोध की विषय भी हैं।

प्रेमचंद की कहानियों में सत्य की झलक दिखती है, पूस की रात में गरीबी की बखान तो दिखाई पड़ती ही है लेकिन पशु प्रेम की प्रकृति भी दिखती है। उनके काफी कृतियों पर फ़िल्म , नाटक और सीरियल बन चुके हैं परंतु कुछ लेखकों ने उन्हें खेमों में बांट दिया पर वे उन दोनों खेमों में कभी न टूटे और कलम के पुरोधा के रूप में लिखते रहे ।

महान लेखक 8 अक्टूबर 1936 को मुंशी प्रेमचंद नाम से इस दुनिया को छोड़ गए लेकिन हमारे लिए छोड़ गए ‘हमीद’ की परिपक्व बचपना। भारत के किसी मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चे जब इंजीनियरिंग में दाखिला लेते हैं, ठीक उसी दिन से माँ-बाप के आंखों में यह ख्वाब जन्म ले लेती हैं कि अब मेरे बच्चे कमाना शुरू कर देंगे, लेकिन उन्हें यह पता नहीं रहता इन चार सालों में उनके बच्चे दिलीकरण के दुनिया को भूल मशीनीकरण में प्रवेश कर जाते हैं।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 335 Views

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