प्रेमचंद्र जी
प्रेमचंद जी ने लिखा सबका प्रिय ‘गोदान’।
दीन दुखी का दर्द लिख दीना उचित निदान।
दीना उचित निदान कहानी स्वयं बोलतीं।
भाषा सरल भाव भी सबके सहज तौलतीं।
खड़ा ‘दरोगा नमक का’ घूसखोर को दिखा।
सीखो ‘गवन’, ‘कफ़न’ में जो भी प्रेमचंद ने लिखा।।
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सतीश मिश्र “अचूक”
मो-9411978000