प्रेमगीत
है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन !
है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन !
वो पल वो क्षण
हमारे नयनों का मिलन
जब था मूक मेरा जीवन
तब हुआ था तेरा आगमन
कलियों में हुआ प्रस्फुटन
भंवरों ने किया गुंजन
है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन !
तेरा रूप तेरा यौवन
जैसे खिला हुआ चमन
चांद सा रौशन आनन
चांदनी में नहाया बदन
झूम के बरसा सावन
फूलों में हुआ परागण
है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन !
तेरे पायल तेरे कंगन
कभी छन-छन कभी खन-खन
पड़ें जहां तेरे चरण
खिल जायें वहां उपवन
तू शास्त्रों का श्रवण
तू मंत्रों का उच्चारण
है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन !
तेरा छुअन तेरा आलिंगन
जैसे चंदन का चानन
दे कर तुझे वचन
बन गया तेरा सजन
तेरे संग लगा के लगन
तेरे प्यार में हुआ मगन
है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन !
वो अधरों का चुंबन
हमारे सांसों का संलयन
तेरे जिस्म की तपन
मेरे तन की अगन
अजब सा छाया सम्मोहन
हम भूल गये त्रिभुवन
है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन !
तेरे मन का समर्पण
मेरे प्यार का पागलपन
सुनके तेरा सुमिरन
मैंने दे दी धड़कन
प्यार बन गया पूजन
बना हर गीत भजन
है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन !
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:- आलोक कौशिक
संक्षिप्त परिचय:-
नाम- आलोक कौशिक
शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य)
पेशा- पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन
साहित्यिक कृतियां- प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में दर्जनों रचनाएं प्रकाशित
पता:- मनीषा मैन्शन, जिला- बेगूसराय, राज्य- बिहार, 851101,
अणुडाक- devraajkaushik1989@gmail.com