प्रीत पराई ,अपनों से लड़ाई ।
प्रीत पराई ,अपनों से लड़ाई ।
प्रेम और जंग में सब सहन करना पड़ता हैं।
ये जिंदगी है साहब यहां गैरों से ज्यादा, अपनों से ही लड़ना पड़ता है।
– डॉ.सीमा कुमारी ।27-9-024की स्वरचित रचना है मेरी।
प्रीत पराई ,अपनों से लड़ाई ।
प्रेम और जंग में सब सहन करना पड़ता हैं।
ये जिंदगी है साहब यहां गैरों से ज्यादा, अपनों से ही लड़ना पड़ता है।
– डॉ.सीमा कुमारी ।27-9-024की स्वरचित रचना है मेरी।